दिनांक - 06 जून, 2012.
सेवा मे,
श्रीमान अध्यक्ष महोदय,
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग,
नई दिल्ली - भारत !
विषय - छत्तीसगढ़ राज्य के बीजापुर के बासागुडा में 28 जून की रात सुरक्षा बलों दवारा निर्दोष ग्रामीण आदिवासियों का नरसंहार के सन्दर्भ मे !
महोदय,
हम आपका ध्यान विषयक की ओर आकृष्ट कराना चन्हुंगा, जहा केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल 19 ग्रामीणों में आठ नाबालिग बच्चे हैं जिनकी उम्र 13 साल से लेकर 16 साल के बीच है. घायलों में भी तीन नाबालिग बच्चे हैं.
अधिकारी जिन्होंने इस अभियान का नेतृत्व किया था कहते हैं कि सुरक्षा बलों के जवानों पर अत्याधुनिक हथियारों से गोलियां चलाई गई थी, जवाबी कारावाई में सुरक्षाबलों नें भी गोलियां चलाई थी.मगर इस मामले का गंभीर पहलू यह है कि घटना स्थल से हथियार बरामद किए जाने का जो दावा सुरक्षा बल के अधिकारी कर रहे हैं उनमे से एक भी अत्याधुनिक हथियार नहीं है.
केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल ने जो घायल जवानों की मेडिकल रिपोर्ट उपलब्ध कराये है उसमे सिर्फ एक जवान हवालदार के.राजन के पैर में छर्रे के ज़ख्म की बात कही गई है, जबकि बाकी के पांच जवानों को अत्याधुनिक हत्यारों की गोलियों के जख्म हैं. यह वही हथियार हैं जिसका इस्तेमाल सुरक्षा बल के जवान ही करते हैं.
जिन जवानों को अत्याधुनिक हथियारों की गोलियां लगी हैं उनमे कोबरा बटालियन के गयेंद्र सिंह, वहीदुल इस्लाम, अरुनव घोष, किशन कुमार और एसएस राणा शामिल हैं जिनका इलाज रायपुर के अस्पताल में चल रहा है.
वहा की पीडितो का कहना है, "हम सब बीच मैदान में बैठे थे. चारों तरफ से गोलियां चल रहीं थी. वही गोलियां सुरक्षाबल के जवानों को आपस में लगी हैं. उनकी गोलीबारी में गाँव के बैल मरे, सूअर मरे. जो लोग भग रहे थे उनपर सुरक्षाबल के जवान ही गोलियां चला रहे थे. उन्हें खुद की गोलियां लगी हैं और वह कह रहे हैं माओवादियों नें गोलियां चलायीं हैं. बैठक में सिर्फ ग्रामीण थे."
विदित हो की माओवादी के साथ मुठ्भेड के नाम पर इसी तरह की नरसंहार चलाया जाता है, और शासन तथा प्रशासन द्वारा माफी मांग कर और मामले मे हिला हवाली कर दबा दिया जाता है. यह मुठभेड़ नहीं 'नरसंहार' है.
संलग्नक - http://www.bbc.co.uk/hindi/mobile/india/2012/07/120705_chhattisgarh_naxal_tb.shtml?SThisFacebook
भवदीय
(डा0 लेनिन)
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