दिनांक - 03 मई, 2012.
सेवा मे,
श्रीमान अध्यक्ष महोदय,
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग,
नई दिल्ली - भारत !
विषय :- उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद मे जिला जेल मे मंगलवार को सजायाफ्ता कैदी बब्बन यादव की मौत के सन्दर्भ मे !
महोदय,
हम आपका ध्यान उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद मे जिला जेल मे मंगलवार को सजायाफ्ता कैदी जो रामगढ कलां गांव के शिवमुरत यादव का पुत्र बब्बन (35),बैरक नंबर चार में बंद था की मौत हो गयी की ओर आकृष्ट कराना चन्हुंगा !
कैदी की तबियत खराब होने पर इसकी सूचना जिला प्रशासन को थी, फिर भी ईलाज कराने मे हिलाहवाली किया गया और अंतत: कैदी की मौत हो गयी, अन्य दैनिक अखबार " हिन्दुस्तान " मे खबर छपी है की शुरूआत मे मृतक कैदी ने पेट मे दर्द की बात रखा गया था, लेकिन इस ओर ध्यान नही दिया गया और जिला प्रशासन की ओर से ब्रेन हैमरेज से मौत की बात कही जा रही है !
मिर्जापुर जेल में कैदी की मौत,
मिजापुर। जिला जेल में मंगलवार की रात एक सजायाफ्ता कैदी की अचानक तबीयत खराब होने के बाद मौत हो गई। उसका समय से उपचार न कराने का जेल प्रशासन पर आरोप लगाते हुए बंदियों ने हंगामा खड़ा कर दिया। उन्होंने करीब 11 घंटे तक शव को उठाने नहीं दिया। डीआईजी जेल और डीएम के पहुंचने पर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा सका। जेल अधीक्षक के अनुसार कैदी की मौत ब्रेन हेमरेज के चलते हुई है। उस वक्त कारागार चिकित्सक इलाहाबाद गए थे, इसके चलते इलाज में देरी हुई।
चुनार कोतवाली क्षेत्र के रामगढ कलां गांव के शिवमुरत यादव का पुत्र बब्बन (35) बैरक नंबर चार में बंद था। उसे हत्या के मामले में 30 अक्तूबर 2011 को सजा सुनाई गई थी। मंगलवार की शाम सात बजे से ही उसकी तबीयत बिगड़ने लगी थी। बैरक के अन्य बंदियाें का कहना है कि इसकी जानकारी बंदी रक्षक के माध्यम से जेलर तक भिजवाई गई। लेकिन इलाज नहीं शुरू हुआ। इस बीच रात करीब 11 बजे बब्बन की मौत हो गई।
इस पर अन्य बंदियों ने हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने मृत बंदी के परिजनों को मुआवजा देने से पहले जेल अधीक्षक और जेलर को लाश उठवाने से रोक दिया। स्थिति बिगड़ती देख जेल अधीक्षक ने डीआईजी वीके जैन व जिलाधिकारी गोविंद राजू एनएस समेत जिले के आला अफसरों को सूचना दे दी। बुधवार की सुबह करीब छह बजे इलाहाबाद जेल परिक्षेत्र के डीआईजी पहुंचे। तब तक जिले के अफसरान भी पहुंच गए थे। डीएम के आश्वासन पर बंदियों ने शव को पंचनामा के लिए ले जाने दिया। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद उसे परिजनों को सौंप दिया।
मेडिकल कैंप लगने के 36 घंटे के अंदर हुई मौत
मिर्जापुर। जिला जेल में 30 अप्रैल को ही बंदियों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए एक मेडिकल कैंप लगाया गया था। इसमें करीब 253 बंदियों का परीक्षण करने का दावा जेल प्रशासन द्वारा किया गया था। कैंप लगने के 36 घंटे के अंदर ही जिला कारागार में बब्बन यादव नामक कैदी की मौत हो जाती है। सवाल यह उठता है कि क्या चिकित्सा शिविर के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई? यही नहीं जेल में बंदियों की चिकित्सा व्यवस्था नाकाफी है इसे खुद जेल के डीआईजी वीके जैन व नवागत डीएम गोविंद राजू एनएस ने स्वीकार किया था। इन दोनों अधिकारियों की पहल पर ही 30 अप्रैल को जेल में मेडिकल कैंप लगाया गया था। बब्बन की मौत ने कैंप को लेकर किए गए दावों पर सवालिया निशान लगा दिया है।
•समय से उपचार नहीं शुरू करने का आरोप
अत: श्रीमान से निवेदन है की मामले मे त्वरित हस्तक्षेप करते हुए मृतक के परिजन को मुआवजा प्रदान कराने के साथ आयोग के गाईड लाइंस के तहत उच्चस्तरीय मजिस्ट्रेटियल जांच / निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराने की कृपा करे !
भवदीय
डा0 लेनिन
(महासचिव)
मानवाधिकार जननिगरानी समिति,
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