From: PVCHR ED <pvchr.india@gmail.com>
Date: 2012/10/1
Subject: Urgent Appeal: भारत : पुलिस द्वारा पेशाब पिलाने और पिता, माता, गर्भवती पत्नी और भाईयो सपरिवार पर कहर बरपाना तथा हिरासत मे 15 दिनो तक प्रताडना देने व उत्तर प्रदेश राज्य मानव अधिकार आयोग, लखनऊ द्वारा बिना पीडितो से और शिकायत कर्ता से मिले मामल का निस्त
To: Detention Watch <pvchr.adv@gmail.com>
भारत : पुलिस द्वारा पेशाब पिलाने और पिता, माता, गर्भवती पत्नी और भाईयो सपरिवार पर कहर बरपाना तथा हिरासत मे 15 दिनो तक प्रताडना देने व उत्तर प्रदेश राज्य मानव अधिकार आयोग, लखनऊ द्वारा बिना पीडितो से और शिकायत कर्ता से मिले मामल का निस्तारण कर बन्द करना !
मुद्दे : पुलिस यातना, धनपशु (मालिक) की दबंगता, मानवाधिकार संस्थान के द्वारा एकतरफा (पीडित विरोधी) कार्यवाही !
24 सितम्बर, 2012
प्रिय मित्र,
मानवाधिकार जन निगरानी समिति ( PVCHR ) कार्यालय मे मदद के लिए आये परिजनो से जानकारी मिली की 24 जनवरी, 2010 को 5 बजे सुबह सादी वर्दी मे अचानक 6 – 7 पुलिस वाले जबरदस्ती दरवाजा खोलवाकर विनोद गुप्ता, पुत्र – राम जी गुप्ता, निवासी मोहल्ला – सिपाह, थाना – कोतवाली, जिला – जौनपुर, राज्य – उत्तर प्रदेश, भारत के निवासी को चोरी मे मामला मे उठा ले गये ! फिर 12 फरवरी, 2010 को उसी तरह पुलिस वाले (S.O.G) घर मे घुसे और अपने अमानवीय तांडव से पूरा परिवार को रात 12 बजे कांपा दिया ! बूढी होती मा – गायत्री देवी को मार से बेहोश होने के बाद भी बूट से पेट मे मारना और इज्ज़त लूटने का प्रयास, लगभग 8 महीने की गर्भवती पत्नी – सीमा को रखैल बनाकर नंगा नचवाने, बूढे पिता राम जी गुप्ता, जो मधुमेह से पीडित थे, सीमा को छोड भाईयो सहित सभी को सिपाह पुलिस चौकी मे लाकर मारपीट करना और गायत्री देवी के साथ साडी खींच पुन: दुर्व्यवहार करना तथा सभी के साथ मारपीट कर सारे मोबाईल जब्त कर लिया गया !
इस उपरोक्त सरांश मे वर्णित पुलिसिया ज़ुल्म की घटना की शिकायत काई अधिकारियो, आयोगो, प्राधिकरण मे की गयी ! मामला उत्तर प्रदेश राज्य मानव अधिकार आयोग, लखनऊ को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली के द्वारा न्यायोचित कार्यवाही हेतु हस्तांतरण किया गया ! उसके बाद भी पत्राचार कर उनसे निष्पक्ष व न्यायोचित कार्यवाही करने की मांग की गयी ! अतत: दिनांक 10 सितम्बर, 2012 को उ0प्र0 राज्य मानव अधिकार आयोग द्वारा बिना पीडितो से और शिकायत कर्ता से मिले मामल का निस्तारण कर बन्द कर दिया गया !
प्रकरण विस्तार :
विनोद गुप्ता, पुत्र – राम जी गुप्ता, मोहल्ला – सिपाह, थाना – कोतवाली, जिला – जौनपुर, उत्तर प्रदेश – भारत के निवासी है ! 24 जनवरी, 2010 को 5 बजे सुबह सादी वर्दी मे 6 – 7 पुलिस वाले अचानक ज़बरदस्ती दरवाजा खोलवाकर विनोद को चोरी के एक मामला मे उठा ले गये ! बिमार पिता अपने बेटा को बचाने के लिये कभी यह थाना तो कभी वो थाना दौड़ते रहे, लेकिन बेटा का कुछ भी अता – पता नही चल सका ! टूटे – थके पिता ने 25 जनवरी को 2 बजकर 30 मिनट तथा 2 बजकर 45 मिनट पर I.G. और D.I.G., वाराणसी को टेलीग्राम किये तथा ACJM-VII, के साथ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग(NHRC), पुलिस महानिदेशक(DGP) को प्रार्थना पत्र दिये, लेकिन कही से कुछ सुनवायी नही हुयी!
http://www.scribd.com/doc/26094762/Vinod-Kumar
इसी बीच 30 जनवरी को S.H.O. फूलपुर का फोन आया "आकर अपने बेटा को ले जाओ", वे बडे. उत्साह से वहाँ गये , लेकिन हस्ताक्षर करवाकर अपने देख – रेख में प्रताड.ना का दौर फिर से चालू रखे! इस सन्दर्भ मे 31 जनवरी को Times of India में विनोद को हिरासत में रखने और Hindustan Times में राम जी गुप्ता के बारे में खबर भी छपी!
http://www.scribd.com/full/54591548?access_key=key-bv4kcg8kc5fjxzi1eq7
http://www.scribd.com/doc/54591548/Vinod-Kumar-Gupta
30 जनवरी को मानावाधिकार जननिगरानी समिति, वाराणसी में पिता राम जी गुप्ता, पत्नी (ग़ायत्री देवी) व पुत्रवधू (सीमा) के साथ आये ! समिति मामला को गम्भीरता को समझते हुये UP Police computer centre, Lucknow के साथ NHRC, UPSLSA,, DGP, Honb'le Chief Justice – Supreme court को ई – मेल व फैक्स के ज़रिये आवेदन भेजने के साथ ही साथ अर्जेंट अपील ज़ारी किया गया ! 1 फरवरी को विनोद की रिहाई हुयी, जाने से पहले कहा गया "बुलाने पर आना होगा!"
ईधर NHRC ने S.P.- वाराणसी को नोटिस भेजकर 2 सप्ताह में राज्य मानवाधिकार आयोग - लखनऊ को मामले में कार्यवाही कर सूचित करने को कहा, लेकिन राज्य मानवाधिकार आयोग - लखनऊ से कोई सूचना प्राप्त नही होने पर समिति द्वारा 17 फरवरी, 2011 को R.T.I. भेजा गया, आयोग के आये पत्र से जानकारी मिली की इस सम्बन्ध में कोई आख्या अभी तक प्राप्त नही हुई है!
http://www.testimonialtherapy.org/2011/03/shrc-and-ramji-case-function-var-scribd.html
और उ.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने 5 फरवरी को पुलिस अधीक्षक - रामपुर तथा 29 मार्च को पुलिस अधीक्षक - जौनपुर को नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करते हुये प्राधिकरण को अवगत करने को पत्र लिखे, लेकिन कोई सूचना प्राप्त नही होने पर समिति द्वारा 17 फरवरी, 2011 को R.T.I. भेजा गया, प्राधिकरण के आये पत्र से जानकारी मिली की इस सम्बन्ध में कोई उत्तर या जानकारी अभी तक उपलब्ध नही है!
2 फरवरी को 8: 10 P.M. पर वनोद ने मेडिकल मुआयना करवाया तथा समिति के निगरानी में विनोद को स्व-व्यथा कथा (टेस्टिमोनियल थेरेपी) द्वारा मनोवैज्ञानिक ऊपचार किया गया, विनोद ने बताया कि उस दिन दो सिपाही फूलपुर थाना से आये और बडे. प्यार से बोले- "ठीक हो, कुछ हुआ तो नही," उसके बाद पुलिस गाड़ी से थाना ले गये! S.O. साहब हमे बुलाये और बिना कुछ बोले थप्पड.-थप्पड. चेहरे पर मारने लगे! दिवार से लग कर बैठने को बोले और पैर पर बेलन (लाठी) चलाने लगे ! दो सिपाही जांघ पर लाठी रख दिये, दो मेरा हाथ पकडे., एक सिपाही दोनो पैरो के बीच मे आकर खड़ा हो गया और लाठी पर एक पैर से कूदने लगे! यह हरकत तीन बार किया गया, अभी हमारे साथ यह कृत और होता, हमने जोर लगाकर अपने को छुडाया और S.O. साहब के पैर पर गिरकर छोड्ने के लिये गिड़गिडाने लगे. तब छोडा गया !
फिर सुबह थाना के पीछे मैदान मे लाया गया, S.O. बोले- "इसको अब पुलिसिया भाषा में समझायेंगे," और ईशारा पाते ही हमारा हाथ पीछे से बांध दिया और दूसरा छोर पेड़ की टहनी से लटका दिये, फिर रस्सी खिंचने लगे! हमारा हाथ जितना ऊंचा उठता, शरीर भी ऊपर खींच जाता, वेलोग देंखे की मेरा पैर ज़मीन से थोडा ऊपर है रस्सी पेड की टहनी से बांध दिये और S.O. साहब जली मोमबत्ती पैर की पंजा पर गिरने लगे! यह सब 2-3 मिनट तक चला उसके बाद हमे खोल दिये तथा बोले- "अपना हाथ आगे करके दोनो पंजा को जोड़ों और यहा ज़मीन पर बैठो!" मेरा हाथ आगे खींचे और पैर से कुचलने लगे, उस समय हम केवल रो रहे थे! उतना होने के बाद भी मेरा नाखून पिलास से उखाड्ने की बात करने लगे, यह सुनकर आंखो के सामने अन्धेरा छाने लगा, आज भी बाह के ऊपर छूने पर सुन्न–सा लगता है व हड्डी मे दर्द रहती है!
वहा से फिर पुलिस लाईन लाकर 15-20 बेल्ट मारा गया, C.O. साहब का पैर पकड्कर हम रो रहे थे, इस पर C.O. साहब बोले –"इसका कपड़ा उतारो", पुलिसकर्मी हमारे शरीर से फट्टे हुये कपडे. को फ़ाड. दिये और पूर्ण नंगा कर दिया! नंगा करने के बाद ज़मीन पर पटक के बेल्ट से मारने लगे और पूछते –" बताओ! चुराया हुआ माल कहा है," हम रो रहे थे, खड़ा नही हो पा रहे थे! S.O. सहब बोले –"अभी थाना ले जाओ, सुबह लेकर आना!" 26 जनवरी को अस्पताल मेडिकल जांच के लिये ले गये, रास्ते मे पुलिस वाला बोला- "अगर डाक्टर दर्द के बारे मे पुंछे तब कुछ भी नही बताना," हम डर से कुछ नही बताये, इतना डर गये थे की आत्महत्या करने क विचार आया! उस दिन भूखे पेट सोना पडा था, रात भर दर्द से कराह रहे थे!
सुबह फिर पुलिस लाईन लाया गया, पुछ्ताछ शुरू करने के बाद मैदान के बीच नीम के पेड. से छाती सटा कर दो सिपाही मेरा हाथ जोर से खींचने लगे और S.O. लाठी से मेरे पिछले हिस्से पर मारने लगे, जिसमे तीन लाठी रीड की हड्डी पर लगी, आज भी उसमे तकलीफ है! उस समय सोचने समझने की शक्ति नही रह गई थी, वर्दी वालो से छोड्ने की प्रार्थना कर रहे थे!
फिर 28 जनवरी को S.O. हुक्म दिये –"पैर फैलाकर थोडा मोड. लो, दोनो हाथो को फैला लो और मूर्ति की तरह खड़ा हो जाओ, हाथ नीचे आया तब लाठी पडे.गी या सीधे खडा हुये तब लाठी पडे.गी!" हाथ नीचे होने पर सिपाही लाठी से मारता, उस समय बायां हाथ मे बहुत तकलिफ हो रहा था क्योकि बचपन मे यह टूट गया था! इतन सहने के बाद जीने की ईच्छा मर गयी थी! इतना कुछ होने के बाद S.O. कह गये- "इसे अब मत मारो, लेकिन सोने मत देना", हमे 30 जनवरी तक सोने नही दिया गया, झपकी लेने पर लाठी से मार कर जगाते थे, हम पानी थोप थोप कर परेशान थे!
इस तरह नौ दिनो तक गुजरा, छोड.ने से पहले S.O. हमारा दोनो पंजा जोर से एठते हुये बोले- "अब अंत मे सही- सही बता दो!" घर आने पर मां मेरी हालत देख कर हर वक़्त रोती रहती,आज भी नंगा करने वाली बात याद आने पर घृणा होनी लगती है, अब मरने का डर भी नही रहा! 3 फरवरी को कोर्ट में विनोद का हलफनामा दिया गया!
http://www.pvchr.net/2010/01/illegal-detention-blatant-violation-of.html
http://www.testimonialtherapy.org/2010_01_01_archive.html
http://www.pvchr.net/2010/01/year-2010-as-psychological-support-to.html
http://www.youtube.com/watch?v=RcIQU4pxQlM
इनकी गलती बस यही थी की ये महेन्द्र सेठ के गाड़ी चलते थे जिसको रास्ते मे लुटेरो ने लूट लिया, अब ये बेरोज़गार है!
12 फरवरी को फिर पुलिसिया तांडव पुरा परिवार झेला, रात 12 बजे S.O.G. की पुलिस गाली देते हुये बोले-"दरवाज़ा खोलो, हम पुलिस वाले है," एक बार फिर पूरा परिवार कांप गया, छोटा लड्का डरते हुये दरवाज़ा खोला ही था की करीब आधा दर्ज़न लोग घूसते ही पूरा परिवार को मारने लगे, गायत्री देवी बेहोश हो कर गिर पडी, उनको बूट से पेट पर मार गया और इज़्ज़त लूटने क प्रयास हुआ, क्योकि एक पुलिसवाला अपने साथी को ऎसा करने से मना किया! राम जी गुप्ता कहते है- "यह सब होता देख मुझे लगा की मेरा हार्ट फेल हो जायेगा", मेरे गर्ववती बहू को रखैल बनाकर नंगा कर नचवाने की बात कही गयी, उस समय पूरा शरीर कांप रहा था, फिर भी उनके सामने गिड.गिडा रहे थे! वे लोग नही माने और बहू को छोड. सभी को उठा लाये! सिपाह पुलिस चौकी पर मारा पीटा गया, मेरी पत्नी का साडी खींचे और सार मोबाईल जब्त कर लिया!
मेरी पत्नी और तीन लड्को को कोतवाली (जौनपुर) मे एक दिन रखा गया! दूसरे दिन पत्नी को छोड. दिया और तीन मासूम बच्चे को मरते – पिटते फूलपुर थाना ले गये, जहां हम ऎवम विनोद बन्द थे! तीनो बच्चो का स्वास्थ्य बिगड.ने पर दो दिन बाद छोडा गया और हमे चोलापुर थाना ऎवम विनोद को अलग थाना मे रखा गया! हमे अलग क्यो रखा गया ये सोचकर बेचैनी हो रही थी! दो दीन बाद दोनों को सिन्धौरा पुलिस चौकी और दो दिन फूलपुर थाना में रखा गया! मेरी शारीरिक व मानसिक पीडा बहुत ज्याद बढ़ गयी थी, मन मे आया की आत्महत्या कर लू, लेकिन परिवार को सोचकर रूक गया!
13 फरवरी को पुलिस लाईन (वाराणसी) लाकर पिता – पुत्र दोनो के मारा – पीटा गया और राम जी गुप्ता को जबरदस्ती पेशाब पिलाया गया और विनोद के कान में पेट्रोल डाला गया, आज भी याद आने पर दोनो कहते है "रोंगटे खडी हो जाती है, यह सब सोचकर पागल हो जाता हू की इस बारे में लोग जानेंगे तब मेरे बारे मे लोग क्या सोचेंगे!"
18 फरवरी को रात 8 बजे छोडा गया और बोला- "बाहर जाकर कोई कदम मत उठाना, नही तो किसी और मुकदमा मे फ़ॅंसा देंगे", वहा तो हां में हां मिलाया, लेकिन हमे अपनी लडाई लड.नी है, मुझे न्याय और सुरक्षा चहिय! छोड.ने के चार दिन बाद S.O. फूलपुर का फोन 11:30 पर दिन में आया, बोले- "विनोद को लेकर बाबतपुर चौराहा पर आ जाओ", फोन की बात सुनकर महिलाये रोने लगी, बोली – "फिर क्या हो गया, कही दुबारा बन्द न कर दे!" हम दोनों 4:30 पर वहाँ पहुंचे, वहाँ से जीप में बैठाकर लंका थाना (वाराणसी) लेकर गये! वहाँ पर C.O. और S.O.G. वाले गाली देते हुये विनोद से कठिन पुछ - ताछ करने लगे, उस दिन को याद कर आज भी शरीर में सिहरन हो रही थी, अभी भी याद करके रोंगटे खडी हो जाती है! उसके बाद फूलपुर थाना लाये और ट्रक मे बैठाते हुये बोले- "तुम दोनो घर छोडकर कही मत जाना," घर पहुंचने पर पूरा परिवार भगवान को शुक्रिया कहे! हम लोग घर पर ही पडे. रहते है, जिससे रोज़ी- रोटी पर मुसीबत आन पडी है,
आज़ भी नींद आधी रात के बाद आती है, अगर बीच मे टूट गयी तो फिर दुबारा नही आती, सारी रात एक टक छत को घूरता रहता हू, चिंता ऎवम डर बना रहता है की फिर से कोई आ न जाय और उठा ले जाये! दूसरी तरफ सेठ धमकी दे रहे है, यहा तक की S.P. बंगला के सामने जान से मारने की धमकी व उठा लेने की बात कहे है, जिससे डरता हू की कुछ अनहोनी न हो जाये! 24 फरवरी,2010 को राम जी गुप्ता व सीमा गुप्ता को स्व-व्यथा कथा (टेस्टिमोनियल थेरेपी) द्वारा मनोवैज्ञानिक ऊपचार किया गया:-
http://www.pvchr.net/2011/02/blog-post_08.html
http://www.pvchr.net/2011/02/blog-post.html
9 फरवरी को समिति द्वारा NHRC को इस सन्दर्भ में आवेदन भेजा गया! सीमा गुप्ता द्वारा भी 13 फरवरी को मुख्यमंत्री, पुलिस अधीक्षक, जिलाधिकारी, पुलिस उप महानिरीक्षक, पुलिस निरीक्षक, मुख्य न्यायाधीश- ईलाहाबाद, प्रमुख सचिव-उ.प्र., राज्य महिला आयोग-लखनऊ, राज्य मानवाधिकार आयोग-लखनऊ को फैक्स द्वारा आवेदन भेजा गया! 15 फरवरी को चाचा ओमप्रकाश ने पुरे सदस्यों को कोतवाली-जौनपुर हिरासत में बन्दकर मारने – पीटने के दौरान समिति को आवेदन दिये, जिस पर 17 फरवरी को मुख्यमंत्री और NHRC को आवेदन तथा 19 फरवरी को DGP, C.M., IGP, SSP, Home minister of India व NHRC के नाम अर्जेंट अपील ज़ारी की गयी, फिर 22 फरवरी को CM., NHRC और Home minister of India को आवेदन भेजा गया, जिसपर NHRC ने DGP को नोटिस भेजकर 4 सप्ताह में राज्य मानवाधिकार आयोग-लखनऊ को मामले में कार्यवाही कर सूचित करने को कहा, लेकिन राज्य मानवाधिकार आयोग-लखनऊ से कोई सूचना प्राप्त नही होने पर समिति द्वारा 17 फरवरी, 2011 को R.T.I. भेजा गया, जिसका रिपोर्ट 16 मई, 2011 को आयी, जिसके साथ मुख्यालय पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश का पुलिस जांच आख्या संलग्न है. जिसमे फर्जी रू0 10 /- का हलफनामा भी लगा है, पीडि.त ने किसी भी प्रकार के हलफनामा के बारे मे असहमति जताया है.
इस प्रकार के धान्धली पर पीडि.त ने सचिव, उ0प्र0 मानव अधिकार आयोग को अपनी स्पष्टिकरण हलफनामा द्वारा 13 जून, 2011 को भेंजे. समिति द्वारा 18 जून,2011 को उ0प्र0 मानव अधिकार आयोग और राष्ट्रीय मानव आयोग को भेंजा गया, लेकिन अभी तक किसी भी प्रकार की सूचना प्राप्त नही हुई है.
http://www.testimonialtherapy.org/2011/03/shrc-and-ramji-case-function-var-scribd.html
http://lenin-shruti.blogspot.com/2011/02/blog-post_08.html
http://sapf.blogspot.com/2011/02/blog-post_08.html
http://wn.com/Women_Torture_in_India
दिनांक 17 जनवरी, 2012 RTI के तहत NHRC / SHRC सूचना मांगा गया, जिसपर वे 10.2.2012 को उ0प्र0 राज्य मानव अधिकार आयोग, लखनऊ को हस्तांतरण की बात उल्लेख कर भेंजे ! उ0प्र0 राज्य मानव अधिकार आयोग से किसी भी प्रकार के सूचना नही मिलने पर 14 मार्च, 2012 को प्रथम अपील भी की गयी, फिर भी सूचना नही मिलने पर 30 मई, 2012 को द्वितीय अपील राज्य सूचना आयोग से शिकायत और कार्यवाही की मांग की गयी ! अंत मे 8 सितम्बर, 2012 को केन्द्रीय सूचना आयोग को भी शिकायत की गयी की राज्य मानव अधिकार आयोग, लखनऊ कार्यवाही की सूचना नही दे रहे है ! तभी 10 सितम्बर, 2012 को राज्य मानव अधिकार आयोग से मामले मे निस्तारण कर बन्द करने की लिखित सूचना भेंज दिये, जबकि मामले मे आयोग ने पीडितो और शिकायतकर्ता से न ही किसी भी प्रकार के सम्पर्क किये और न ही बयान और मामले मे उचित पत्राचार भी नही किया गया है !
http://www.scribd.com/doc/105991031/Vinod-Gupta-Son-of-Ram-Ji-Gupta-SHRC-Uttar-Pradesh
इसी तरह से Cr-PC-section-169 को पुलिस अपने बचाव के लिये प्रयोग कर मासूमो का उत्पीड.न करती है.
http://www.scribd.com/doc/54591962/Misuse-of-Cr-PC-section-169-by-Indian-Police
http://www.scribd.com/full/54591962?access_key=key-29fvxsriyd54eodgy4mr
इस तरह के पुलिसिया अत्याचार की घटना समाज में कही न कही अक्सर देखने और सुनने को मिलती है, भारत में उ.प्र. इस तरह के मानवाधिकार उल्लघन्न में अव्वल है! कही धारा169 के तले जनता पिस रही है, तो कही इनता मार – पीट दिया जाता है की ज़हर खाने को लोग मज़बूर हो जाते है! जब तक सक्ति से कानून का राज लागू नही होगी, कही न कही लोग मरते – पीटते रहेंगे, अतुल्य भारत केवल मृगमारीचिका ही है!
http://detentionwatch.blogspot.com/2011/04/torture-in-police-detention.html
http://detentionwatch.blogspot.com/2011/04/httpwwwscribdcomdoc54047124self.html
http://detentionwatch.blogspot.com/
इसलिये हिरासत में हिंसा की बढ़ती घटनाओ को देखते हुये गिरफ्तारी – हिरासत – पूछ्ताछ के लिये उच्चतम न्यायालय-भारत ने निर्देश दिये है:-
http://detentionwatch.blogspot.com/2011/04/blog-post.html
http://detentionwatch.blogspot.com/2011/04/shri-dk-basu-v-state-of-west-bengal.html
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विषय: पुलिस द्वारा पेशाब पिलाने और पिता, माता, गर्भवती पत्नी और भाईयो सपरिवार पर कहर बरपाना तथा हिरासत मे 15 दिनो तक प्रताडना देने व उत्तर प्रदेश राज्य मानव अधिकार आयोग, लखनऊ द्वारा बिना पीडितो से और शिकायत कर्ता से मिले मामल का निस्तारण कर बन्द करना !
पीड़ितों के नाम
1. विनोद गुप्ता, उम्र – 28 वर्ष, पुत्र – श्री रामजी गुप्ता, मोहल्ला – सिपाह, थाना – कोतवाली, जिला – जौनपुर, राज्य – उत्तर प्रदेश – भारत !
2. राम जी गुप्ता, उम्र – 51 वर्ष, पुत्र – स्व0 राम प्रसाद, मोहल्ला – सिपाह, थाना – कोतवाली, जिला – जौनपुर, राज्य – उत्तर प्रदेश – भारत !
3. सीमा गुप्त, उम्र – 24 वर्ष, पत्नी – विनोद गुप्ता, मोहल्ला – सिपाह, थाना – कोतवाली, जिला – जौनपुर, राज्य – उत्तर प्रदेश – भारत !
4. गायत्री देवी, पत्नी – राम जी गुप्ता, मोहल्ला – सिपाह, थाना – कोतवाली, जिला – जौनपुर, राज्य – उत्तर प्रदेश – भारत !
5. चन्दन, उम्र – 23 वर्ष, पुत्र – राम जी गुप्ता, मोहल्ला – सिपाह, थाना – कोतवाली, जिला – जौनपुर, राज्य – उत्तर प्रदेश – भारत !
6. मनीष, उम्र – 25 वर्ष, पुत्र – राम जी गुप्ता, मोहल्ला – सिपाह, थाना – कोतवाली, जिला – जौनपुर, राज्य – उत्तर प्रदेश – भारत !
प्रिय सर / मैडम,
हम आपका ध्यान विनोद गुप्ता, पुत्र – राम जी गुप्ता, मोहल्ला – सिपाह, थाना – कोतवाली, जिला – जौनपुर, राज्य – उत्तर प्रदेश – भारत की ओर आकृष्ट कराना चाहूँगा। जिनपर सपरिवार पुलिसिय कहर झेलना पडा और उत्तर प्रदेश राज्य मानव अधिकार आयोग, लखनऊ – उत्तर प्रदेश, भारत द्वारा पीडितो व शिकायतकर्ता से मिले बिना, जिसमे किसी का भी आयोग द्वारा बयान तक नही कराया गया है, मामले मे निस्तारण कर बंद कर दी गयी है !
महोदय उपरोकत वर्णित प्रकरण मे जो "विनोद गुप्ता को 24 जनवरी, 2010 को 5 बजे सुबह सादी वर्दी मे 6 – 7 पुलिस वाले अचानक ज़बरदस्ती दरवाजा खोलवाकर चोरी के एक मामला मे उठा ले गये ! बिमार पिता राम जी गुप्ता विनोद को बचाने के लिये कभी यह थाना तो कभी वो थाना दौड़ते रहे, लेकिन बेटा का कुछ भी अता – पता नही चल सका ! टूटे – थके पिता ने 25 जनवरी को 2 बजकर 30 मिनट तथा 2 बजकर 45 मिनट पर I.G. और D.I.G., वाराणसी को टेलीग्राम किये तथा ACJM-VII, के साथ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग(NHRC), पुलिस महानिदेशक(DGP) को प्रार्थना पत्र दिये, लेकिन कही से कुछ सुनवायी नही हुयी!
इसी बीच 30 जनवरी को S.H.O. फूलपुर का फोन आया "आकर अपने बेटा को ले जाओ", वे बडे. उत्साह से वहाँ गये , लेकिन हस्ताक्षर करवाकर अपने देख – रेख में प्रताड.ना का दौर फिर से चालू रखे! इस सन्दर्भ मे 31 जनवरी को स्थानीय अखबार Times of India में विनोद को हिरासत में रखने और Hindustan Times में राम जी गुप्ता पर किये गये अत्याचार के बारे में खबर भी छपी!
30 जनवरी, 2010 को पीडित परिजन मानवाधिकार जन निगरानी समिति, वाराण्सी को अपनी मामला को बताये, उस समय पूरा परिवार दहशत मे थे और उनलोंगो की मनोस्थिति गम्भीर थी ! मामले की गम्भीरता को समझते हुये पूर्व मे अनेक विभागो / अधिकारियो / प्राधिकरणो को आवेदन पत्र भेंजे, लेकिन आज तक मामले मे किसी भी प्रकार की न्यायोचित कदम नही उठायी गयी है !
साथ ही साथ समिति द्वारा उ.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ को भेंजे गये पत्र पर 5 फरवरी को पुलिस अधीक्षक - रामपुर तथा 29 मार्च को पुलिस अधीक्षक - जौनपुर को नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करते हुये प्राधिकरण को अवगत करने को पत्र लिखा गया, लेकिन कोई सूचना प्राप्त नही होने पर समिति द्वारा 17 फरवरी, 2011 को R.T.I. भेजा गया, प्राधिकरण के आये पत्र से जानकारी मिली की इस सम्बन्ध में कोई उत्तर या जानकारी अभी तक उपलब्ध नही है!
2 फरवरी को 8: 10 P.M. पर वनोद ने मेडिकल मुआयना करवाया तथा समिति के निगरानी में विनोद को स्व-व्यथा कथा (टेस्टिमोनियल थेरेपी) द्वारा मनोवैज्ञानिक ऊपचार किया गया, विनोद ने बताया कि उस दिन दो सिपाही फूलपुर थाना से आये और बडे. प्यार से बोले- "ठीक हो, कुछ हुआ तो नही," उसके बाद पुलिस गाड़ी से थाना ले गये! S.O. साहब हमे बुलाये और बिना कुछ बोले थप्पड.-थप्पड. चेहरे पर मारने लगे! दिवार से लग कर बैठने को बोले और पैर पर बेलन (लाठी) चलाने लगे ! दो सिपाही जांघ पर लाठी रख दिये, दो मेरा हाथ पकडे., एक सिपाही दोनो पैरो के बीच मे आकर खड़ा हो गया और लाठी पर एक पैर से कूदने लगे! यह हरकत तीन बार किया गया, अभी हमारे साथ यह कृत और होता, हमने जोर लगाकर अपने को छुडाया और S.O. साहब के पैर पर गिरकर छोड्ने के लिये गिड़गिडाने लगे. तब छोडा गया !
फिर सुबह थाना के पीछे मैदान मे लाया गया, S.O. बोले- "इसको अब पुलिसिया भाषा में समझायेंगे," और ईशारा पाते ही हमारा हाथ पीछे से बांध दिया और दूसरा छोर पेड़ की टहनी से लटका दिये, फिर रस्सी खिंचने लगे! हमारा हाथ जितना ऊंचा उठता, शरीर भी ऊपर खींच जाता, वेलोग देंखे की मेरा पैर ज़मीन से थोडा ऊपर है रस्सी पेड की टहनी से बांध दिये और S.O. साहब जली मोमबत्ती पैर की पंजा पर गिरने लगे! यह सब 2-3 मिनट तक चला उसके बाद हमे खोल दिये तथा बोले- "अपना हाथ आगे करके दोनो पंजा को जोड़ों और यहा ज़मीन पर बैठो!" मेरा हाथ आगे खींचे और पैर से कुचलने लगे, उस समय हम केवल रो रहे थे! उतना होने के बाद भी मेरा नाखून पिलास से उखाड्ने की बात करने लगे, यह सुनकर आंखो के सामने अन्धेरा छाने लगा, आज भी बाह के ऊपर छूने पर सुन्न–सा लगता है व हड्डी मे दर्द रहती है!
वहा से फिर पुलिस लाईन लाकर 15-20 बेल्ट मारा गया, C.O. साहब का पैर पकड्कर हम रो रहे थे, इस पर C.O. साहब बोले –"इसका कपड़ा उतारो", पुलिसकर्मी हमारे शरीर से फट्टे हुये कपडे. को फ़ाड. दिये और पूर्ण नंगा कर दिया! नंगा करने के बाद ज़मीन पर पटक के बेल्ट से मारने लगे और पूछते –" बताओ! चुराया हुआ माल कहा है," हम रो रहे थे, खड़ा नही हो पा रहे थे! S.O. सहब बोले –"अभी थाना ले जाओ, सुबह लेकर आना!" 26 जनवरी को अस्पताल मेडिकल जांच के लिये ले गये, रास्ते मे पुलिस वाला बोला- "अगर डाक्टर दर्द के बारे मे पुंछे तब कुछ भी नही बताना," हम डर से कुछ नही बताये, इतना डर गये थे की आत्महत्या करने क विचार आया! उस दिन भूखे पेट सोना पडा था, रात भर दर्द से कराह रहे थे!
सुबह फिर पुलिस लाईन लाया गया, पुछ्ताछ शुरू करने के बाद मैदान के बीच नीम के पेड. से छाती सटा कर दो सिपाही मेरा हाथ जोर से खींचने लगे और S.O. लाठी से मेरे पिछले हिस्से पर मारने लगे, जिसमे तीन लाठी रीड की हड्डी पर लगी, आज भी उसमे तकलीफ है! उस समय सोचने समझने की शक्ति नही रह गई थी, वर्दी वालो से छोड्ने की प्रार्थना कर रहे थे!
फिर 28 जनवरी को S.O. हुक्म दिये –"पैर फैलाकर थोडा मोड. लो, दोनो हाथो को फैला लो और मूर्ति की तरह खड़ा हो जाओ, हाथ नीचे आया तब लाठी पडे.गी या सीधे खडा हुये तब लाठी पडे.गी!" हाथ नीचे होने पर सिपाही लाठी से मारता, उस समय बायां हाथ मे बहुत तकलिफ हो रहा था क्योकि बचपन मे यह टूट गया था! इतन सहने के बाद जीने की ईच्छा मर गयी थी! इतना कुछ होने के बाद S.O. कह गये- "इसे अब मत मारो, लेकिन सोने मत देना", हमे 30 जनवरी तक सोने नही दिया गया, झपकी लेने पर लाठी से मार कर जगाते थे, हम पानी थोप थोप कर परेशान थे!
इस तरह नौ दिनो तक गुजरा, छोड.ने से पहले S.O. हमारा दोनो पंजा जोर से एठते हुये बोले- "अब अंत मे सही- सही बता दो!" घर आने पर मां मेरी हालत देख कर हर वक़्त रोती रहती,आज भी नंगा करने वाली बात याद आने पर घृणा होनी लगती है, अब मरने का डर भी नही रहा! 3 फरवरी को कोर्ट में विनोद का हलफनामा दिया गया!
" इनकी गलती बस यही थी की ये महेन्द्र सेठ के गाड़ी चलते थे जिसको रास्ते मे लुटेरो ने लूट लिया, अब ये बेरोज़गार है!"
12 फरवरी को फिर पुलिसिया तांडव पुरा परिवार झेला, रात 12 बजे S.O.G. की पुलिस गाली देते हुये बोले-"दरवाज़ा खोलो, हम पुलिस वाले है," एक बार फिर पूरा परिवार कांप गया, छोटा लड्का डरते हुये दरवाज़ा खोला ही था की करीब आधा दर्ज़न लोग घूसते ही पूरा परिवार को मारने लगे, गायत्री देवी बेहोश हो कर गिर पडी, उनको बूट से पेट पर मार गया और इज़्ज़त लूटने क प्रयास हुआ, क्योकि एक पुलिसवाला अपने साथी को ऎसा करने से मना किया! राम जी गुप्ता कहते है- "यह सब होता देख मुझे लगा की मेरा हार्ट फेल हो जायेगा", मेरे गर्ववती बहू को रखैल बनाकर नंगा कर नचवाने की बात कही गयी, उस समय पूरा शरीर कांप रहा था, फिर भी उनके सामने गिड.गिडा रहे थे! वे लोग नही माने और बहू को छोड. सभी को उठा लाये! सिपाह पुलिस चौकी पर मारा पीटा गया, मेरी पत्नी का साडी खींचे और सार मोबाईल जब्त कर लिया!
मेरी पत्नी और तीन लड्को को कोतवाली (जौनपुर) मे एक दिन रखा गया! दूसरे दिन पत्नी को छोड. दिया और तीन मासूम बच्चे को मरते – पिटते फूलपुर थाना ले गये, जहां हम ऎवम विनोद बन्द थे! तीनो बच्चो का स्वास्थ्य बिगड.ने पर दो दिन बाद छोडा गया और हमे चोलापुर थाना ऎवम विनोद को अलग थाना मे रखा गया! हमे अलग क्यो रखा गया ये सोचकर बेचैनी हो रही थी! दो दीन बाद दोनों को सिन्धौरा पुलिस चौकी और दो दिन फूलपुर थाना में रखा गया! मेरी शारीरिक व मानसिक पीडा बहुत ज्याद बढ़ गयी थी, मन मे आया की आत्महत्या कर लू, लेकिन परिवार को सोचकर रूक गया!
13 फरवरी को पुलिस लाईन (वाराणसी) लाकर पिता – पुत्र दोनो के मारा – पीटा गया और राम जी गुप्ता को जबरदस्ती पेशाब पिलाया गया और विनोद के कान में पेट्रोल डाला गया, आज भी याद आने पर दोनो कहते है "रोंगटे खडी हो जाती है, यह सब सोचकर पागल हो जाता हू की इस बारे में लोग जानेंगे तब मेरे बारे मे लोग क्या सोचेंगे!"
18 फरवरी को रात 8 बजे छोडा गया और बोला- "बाहर जाकर कोई कदम मत उठाना, नही तो किसी और मुकदमा मे फ़ॅंसा देंगे", वहा तो हां में हां मिलाया, लेकिन हमे अपनी लडाई लड.नी है, मुझे न्याय और सुरक्षा चहिय! छोड.ने के चार दिन बाद S.O. फूलपुर का फोन 11:30 पर दिन में आया, बोले- "विनोद को लेकर बाबतपुर चौराहा पर आ जाओ", फोन की बात सुनकर महिलाये रोने लगी, बोली – "फिर क्या हो गया, कही दुबारा बन्द न कर दे!" हम दोनों 4:30 पर वहाँ पहुंचे, वहाँ से जीप में बैठाकर लंका थाना (वाराणसी) लेकर गये! वहाँ पर C.O. और S.O.G. वाले गाली देते हुये विनोद से कठिन पुछ - ताछ करने लगे, उस दिन को याद कर आज भी शरीर में सिहरन हो रही थी, अभी भी याद करके रोंगटे खडी हो जाती है! उसके बाद फूलपुर थाना लाये और ट्रक मे बैठाते हुये बोले- "तुम दोनो घर छोडकर कही मत जाना," घर पहुंचने पर पूरा परिवार भगवान को शुक्रिया कहे! हम लोग घर पर ही पडे. रहते है, जिससे रोज़ी- रोटी पर मुसीबत आन पडी है,
आज़ भी नींद आधी रात के बाद आती है, अगर बीच मे टूट गयी तो फिर दुबारा नही आती, सारी रात एक टक छत को घूरता रहता हू, चिंता ऎवम डर बना रहता है की फिर से कोई आ न जाय और उठा ले जाये! दूसरी तरफ सेठ धमकी दे रहे है, यहा तक की S.P. बंगला के सामने जान से मारने की धमकी व उठा लेने की बात कहे है, जिससे डरता हू की कुछ अनहोनी न हो जाये! 24 फरवरी,2010 को राम जी गुप्ता व सीमा गुप्ता को स्व-व्यथा कथा (टेस्टिमोनियल थेरेपी) द्वारा मनोवैज्ञानिक ऊपचार किया गया:-
9 फरवरी को समिति द्वारा NHRC को इन सन्दर्भ में आवेदन भेजा गया! पीडिता सीमा गुप्ता द्वारा भी 13 फरवरी को मुख्यमंत्री, पुलिस अधीक्षक, जिलाधिकारी, पुलिस उप महानिरीक्षक, पुलिस निरीक्षक, मुख्य न्यायाधीश- ईलाहाबाद, प्रमुख सचिव-उ.प्र., राज्य महिला आयोग-लखनऊ, राज्य मानवाधिकार आयोग-लखनऊ को फैक्स द्वारा आवेदन भेजा गया! 15 फरवरी को चाचा ओमप्रकाश ने पुरे सदस्यों को कोतवाली-जौनपुर हिरासत में बन्दकर मारने – पीटने के दौरान समिति को आवेदन दिये, जिस पर 17 फरवरी को मुख्यमंत्री और NHRC को आवेदन तथा 19 फरवरी को DGP, C.M., IGP, SSP, Home minister of India व NHRC के नाम अर्जेंट अपील ज़ारी की गयी, फिर 22 फरवरी को CM., NHRC और Home minister of India को आवेदन भेजा गया, जिसपर NHRC ने DGP को नोटिस भेजकर 4 सप्ताह में राज्य मानवाधिकार आयोग-लखनऊ को मामले में कार्यवाही कर सूचित करने को कहा, लेकिन राज्य मानवाधिकार आयोग-लखनऊ से कोई सूचना प्राप्त नही होने पर समिति द्वारा 17 फरवरी, 2011 को R.T.I. भेजा गया, जिसका रिपोर्ट 16 मई, 2011 को आयी, जिसके साथ मुख्यालय पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश का पुलिस जांच आख्या संलग्न है. जिसमे फर्जी रू0 10 /- का हलफनामा भी लगा है, पीडि.त ने किसी भी प्रकार के हलफनामा के बारे मे असहमति जताया है.
इस प्रकार के धान्धली पर पीडि.त ने सचिव, उ0प्र0 मानव अधिकार आयोग को अपनी स्पष्टिकरण हलफनामा द्वारा 13 जून, 2011 को भेंजे. समिति द्वारा 18 जून,2011 को उ0प्र0 मानव अधिकार आयोग और राष्ट्रीय मानव आयोग को भेंजा गया, लेकिन अभी तक किसी भी प्रकार की सूचना प्राप्त नही हुई है.
दिनांक 17 जनवरी, 2012 RTI के तहत NHRC / SHRC सूचना मांगा गया, जिसपर वे 10.2.2012 को उ0प्र0 राज्य मानव अधिकार आयोग, लखनऊ को हस्तांतरण की बात उल्लेख कर भेंजे ! उ0प्र0 राज्य मानव अधिकार आयोग से किसी भी प्रकार के सूचना नही मिलने पर 14 मार्च, 2012 को प्रथम अपील भी की गयी, फिर भी सूचना नही मिलने पर 30 मई, 2012 को द्वितीय अपील राज्य सूचना आयोग से शिकायत और कार्यवाही की मांग की गयी ! अंत मे 8 सितम्बर, 2012 को केन्द्रीय सूचना आयोग को भी शिकायत की गयी की राज्य मानव अधिकार आयोग, लखनऊ कार्यवाही की सूचना नही दे रहे है ! तभी 10 सितम्बर, 2012 को राज्य मानव अधिकार आयोग से मामले मे निस्तारण कर बन्द करने की लिखित सूचना भेंज दिये, जबकि मामले मे आयोग ने पीडितो और शिकायतकर्ता से न ही किसी भी प्रकार के सम्पर्क किये और न ही बयान और मामले मे उचित पत्राचार भी नही किया गया है !
विदित हो की आज भी पूरबईया हवा चलने पर पीडित विनोद के सारे शरीर के जोडो मे दर्द उठने के कारण मछली की तरह तडप उठता है, दूसरी ओर पिता रामजी गुप्ता का मधुमेह का शुगर अत्यधिक होने के सातह ब्लड प्रेशर के रोगी हो गयी है ! राज्य मानव अधिकार, लखनऊ द्वारा कि गयी पीडित विरोधी कार्यवाही से क्षुब्ध पिता का कहना है "हमारे साथ बहुत बडा घोर अन्याय हो रह है, जिसका मुझे मानसिक रूप से बहुत कष्ट है ! मुंझे इस बात का विश्वास था की मेरी मदद मानवाधिकार आयोग जरूर करेगा, लेकिन राज्य मानव अधिकार के इस फैसले से मै और भी ज्यादा मानसिक रूप से पीडित हो गया !" दूसरी ओर इस घटना के कारण और पुलिसिया चक्कर मे पूरे समाज मे बदनामी के कारण बेरोजगारी मे आर्थिक स्थिति दयनीय है, तो आज बच्चो के शादी – विवाह मे बडी रूकावटे एवम अडचने पैदा हो रही है !
अतः श्रीमान् जी से निवेदन है कि मामले में त्वरित हस्तक्षेप करते हुए मामले मे न्यायोचित कार्यवाही की जाय तथा पीडित परिजनो को सुरक्षा के साथ मुआवजा प्रदान कराते हुए सम्भावित दोषियो व हिला – हवाली करने वाले विभाग पर उचित कार्यवाही करे !
आपको धन्यवाद !
भवदीय
(डा0 लेनिन)
महासचिव
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उत्तर प्रदेश – भारत !
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Tel - +91-1123012312,
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5. The chairperson,
National Human Rights Commission,
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Fax no. - +91-1123384863.
Email – covdnhrc@nic.in, ionhrc@nic.in
6. The Chairperson,
National commission for backward classes,
Trikoot – 1, Bhikaji Kama Place,
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7. Hon'ble Chief justice,
High court, Uttar Pradesh,
1, Lal Bahadur Shastri marg, Allahabad,
Uttar Pradesh – India.
8. The Chief Minister,
Chief Minister of Uttar Pradesh,
Lal Bahadur Shastri Bhawan,
Lucknow – 226001, Uttar Pradesh – India.
9. Ms. Margrate Sekagya,
UN Special Reporteur on Human Rights Defenders,
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