Saturday, April 14, 2012

पुलिसिया जुल्‍म से लड़ा और जीता रामलाल

पुलिसिया जुल्‍म से लड़ा और जीता रामलाल
पुलिसिया जुल्‍म के शिकार उस रामलाल की कहानी भेजी है जिसने हार नहीं मानी. प्रदेश के आला पुलिस अधिकारियों से लेकर, मुख्‍यमंत्री, राज्‍य मानवाधिकार आयोग और दिल्‍ली स्थित राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक; अपने साथ हुए ज़ोर-जुल्‍म की शिकायत लेकर गए रामलाल. आखिरकार राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग के हस्‍तक्षेप से उनके साथ ज्‍़यादती करने वाले पुलिसकर्मियों पर क़ानून कार्रवाई शुरू हो पायी और रामलाल को मुआवज़ा भी मिल सका. चेक मिलने की जानकारी नही होने के कारण  चेक के दिनांक के बाद रामलाल ने बैंक एकाउण्ट खुलवाया, जिससे चेक जमा नही हो पाया, फिर इस सन्दर्भ मे पैरवी की गयी, अखिर मे राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग के हस्तक्षेप के बाद पुन: मुवावजा प्राप्त हुआ. सच है कि मुआवज़े से पीड़ा की भरवाई तो नहीं हो सकती लेकिन इसका प्रतीकात्‍मक अर्थ तो है ही. और संघर्ष अभी जारी है.

रामलाल, पुत्र - श्री छेदी बिंद, गाँव – सागर सेमर, पोस्ट – हिनौती, थाना – पडरी, जिला-मिर्जापुर उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। 2 मई 2009 को रात लगभग 10 बजे थाना-चुनार (मिर्जापुर) के पुलिसकर्मी जबरदस्ती इन्हें अपने गाड़ी में बिठा ले गए। उसी रात लगभग 11.00 बजे इनके घर में तोड़फोड़ किया गया, बक्से में पड़े 7,000/- रुपये (जो उधार लिया गया था), 5 साड़ी, 1/2 किलो चाँदी की हंसुली, पायल, चाँदी की सिकड़ी तथा उनके लड़का का चाँदी की हाथ का बल्ला उठा लाये। उस रात 2 बजे इन्हें हवालात में बन्द कर दिया गया। कुछ समय बाद 2 सिपाही आकर हथकड़ी लगाकर रात में जीप में बिठाकर दरोगाजी श्री सुर्दशन के निवास स्थान पर ले गये। वहां से ये लोग डगमगपुर स्थित एक सुनसान क्षेत्र में एक फैक्ट्री के पास ले गए और वहाँ इनको डराते व धमकाते हुए दोष कबुलवाने की कोशिश करने लगे। उस समय राम लाल का पूरा शरीर पसीना से लथपथ हो गया। डर था कि कहीं मारकर फेंक न दिया जाय। आज भी वे उस दिन को याद करके सिहर उठते हैं। डराने-धमकाने के आधा घण्टा बाद पुलिस वाले इन्‍हें बिहारी ढाबा पर ले गये, जहाँ पुलिसकर्मी अपने लिये चाय और इन्हें कांच की गिलास में शराब दी पीने के लिए। इन्होंने कभी शराब नहीं पी थी। मना करने पर एक सिपाही आया और गाली देते हुए मारने लगा। दूसरा सिपाही जबरदस्ती मुँह में लगाकर दो गिलास शराब पिला दिया। उस समय स्थिति जैसे मरने की हो गयी थी और उसी स्थिति में अन्य 12 लोगों के घर में छापेमारी की गयी।
अगले दिन 31 मई, 2009 को दारोगाजी ने इन्‍हें फिर बुलवाया तथा थाना परिसर में रखे पत्थर पर बैठने को कहा। वहाँ दो बार इन्‍हें बिजली का करेंट दिया गया। इनका कण्ठ सुख रहा था लेकिन मांगने पर भी पानी नहीं दिया गया। तीसरी बार फिर करेंट दिया गया। जिससे ये बेहोश हो गये। पाँच दिनों तक बेहोशी में ही रहे। कुछ दिनों तक इन्‍हें कुछ भी याद नहीं आ रहा था और ये परेशान रहने लगे। सप्ताह भर अस्पताल में रह कर घर आये। पुलिस वालों की मनबढ़ी और और उनका जुल्‍म थमा नहीं था। इनको छोड़ने के एवज़ में उन्‍होंने इनके ससुर श्री लक्ष्मण व भाई जीतू से 13,000/- रुपये लिये। घर से उठाये गये सामानों में हसुली, पायल और बल्ला अब तक नहीं मिला है।
http://www.testimonialtherapy.org/2011/04/blog-post.html
http://www.scribd.com/doc/24441087/Times-of-India-Ram-Lal-Case
http://www.scribd.com/doc/30507887/NHRC-and-illegal-detention-of-Ram-Lal  http://www.youtube.com/watch?v=5iojuKsRwBk

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