Wednesday, February 29, 2012

Fwd: वाराणसी सेंट्रल जेल मे कर्मियो की कमी के कारण दयनीय स्थिति और बन्दियो पर गोली चलाने के साथ अभद्रता के सन्दर्भ मे.



---------- Forwarded message ----------
From: Detention Watch <pvchr.adv@gmail.com>
Date: 2012/2/11
Subject: वाराणसी सेंट्रल जेल मे कर्मियो की कमी के कारण दयनीय स्थिति और बन्दियो पर गोली चलाने के साथ अभद्रता के सन्दर्भ मे.
To: Anil Kumar Parashar <jrlawnhrc@hub.nic.in>, akpnhrc@yahoo.com
Cc: lenin@pvchr.asia


सेवा मे,                                                                             11 फरवरी, 2012.

      अध्यक्ष महोदय,

      राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग,

      नई दिल्ली,भारत !

विषय :-  वाराणसी सेंट्रल जेल मे कर्मियो की कमी के कारण दयनीय स्थिति और बन्दियो पर गोली चलाने के साथ अभद्रता के सन्दर्भ मे.

      महोदय, 

      हम आपका ध्यान उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद स्थित सेंट्रल जेल की ओर आकृष्ट कराना चाहूंगा ! जहा एक दो बन्दी रक्षको के हवाले लगभग हज़ार कैदी की जिम्मेदारी है, जो किसी भी तरह से सुरक्षित और न्यायसंगत नही है. कर्मियो पर अत्यधिक बोझ होने के कारण रक्षक खुद भी सुरक्षित नही है. जेल मे कर्मियो की स्वीकृत संख्या से काफी कम तैनाती है, जो कमोबेश प्रदेश और देश की लगभग सभी जेलो मे है.
    कम कर्मियो के होने के कारण माहौल भी तानातनी रहती है और दोनो तरफ से खतरा की गुंजाईश भी, इस सन्दर्भ मे दैनिक अखबार मे छपी खबर संलगन है !
      
संलगनक - 1 ( http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=40&edition=2012-02-05&pageno=15#id=111732552271116504_40_2012-02-05 )

बंदियों का हुजूम, रक्षक गुम
एल. एन. त्रिपाठी, वाराणसी अब सिपाही (बंदीरक्षक) धौंस नहीं जमाता, जेलर आंख भी नहीं दिखाता। कहने को यह अति सुरक्षित जेल है लेकिन इस जेल में रक्षक खुद ही सुरक्षित नहीं हैं। सुरक्षा मिले तो भी कैसे। यहां कैदियों का हुजूम है। क्षमता से करीब तीन गुना कैदी यहां भरे पड़े हैं। दूसरी ओर रक्षकों के दो तिहाई पद रिक्त हैं। जो तैनात हैं वह कैदियों की भारी भीड़ में पूरी तरह गुम हैं। यह वाराणसी का केन्द्रीय कारागार है। गुजरे हालात बताते हैं कि यह कारागार कैदियों के हवाले है। मुख्य द्वार से अंदर जाते ही यहां सत्ता के मालिक बदल जाते हैं। कमोबेश यही दशा प्रदेश के अन्य कारागारों की भी है। आबादी की भारी मार ने केन्द्रीय कारागारों को भी खासा बेहाल कर दिया है। इनमें क्षमता से दो से तीन गुना अधिक कैदी भर चुके हैं। सूचना के अधिकार के तहत अधिवक्ता अंशुमान त्रिपाठी द्वारा जुटाई गई जानकारी के अनुसार वाराणसी के केन्द्रीय कारागार का हर बरैक ढाई से तीन गुना कैदियों से भरा पड़ा है। सर्किल एक में एक बड़ी और चार छोटी कोठरी हैं। इस सर्किल की कुल क्षमता 390 कैदियों को रखने की है। इस सर्किल में कुल 962 कैदी हैं। यह वही सर्किल हैं जहां एक फरवरी 2012 को कैदियों ने वरिष्ठ जेल अधीक्षक समेत चार लोगों को बंधक बनाया व जमकर मारा पीटा था। घटना के दिन इस सर्किल में कुल 917 कैदी बंद थे। सर्किल दो में आठ कोठरियां हैं। इनकी क्षमता कुल 300 कैदियों की हैं। यहां 542 कैदी बंद हैं। कमोबेश पूरी जेल का यही हाल है। इस जेल में फिलहाल 985 कैदियों को रखने की क्षमता है जबकि इस समय 2196 कैदी बंद हैं। इन कैदियों को संभालने वाले नदारद हैं। केन्द्रीय कारागार वाराणसी में इन 2196 कैदियों पर निगरानी की व्यवस्था मात्र 35 बंदीरक्षक संभालते हैं। हर सर्किल में रात के समय बमुश्किल एक से दो बंदीरक्षक तैनात रहते हैं। बंदी अगर कोठरी का ताला तोड़कर मैदान में निकल पड़ें तो उन्हें संभालने या रोकने वाला कोई नहीं होता। जेल में बंदीरक्षकों के पद रिक्त हैं। यही स्थिति डिप्टी जेलरों की है। अकेले वाराणसी जेल में डिप्टी जेलरों के 12 पदों पर मात्र चार पद ही भरे हैं। यहां तक कि जेलर का भी एक पद रिक्त है। शासन की उदासीनता के चलते अब यह स्थिति आ गई है कि जिन जेलों में बाहर की हवा भी कानून की अनुमति से पहुंचने की बात कही जाती थी वहां अब बंदी राज है। वरिष्ठ अधीक्षकों को भी हथियार या गार्ड की अनुमति नहीं : जेल में रक्षक खुद खासे असुरक्षित हैं। इन्हें अपनी सुरक्षा के लिए पिस्टल, रिवाल्वर तक रखने की अनुमति नहीं है। सैकड़ों कैदियों के बीच घुसने वाले यह अधिकारी पूरी तरह कैदियों की दया दृष्टि पर आश्रित रहते हैं। वाराणसी सेन्ट्रल जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक कैप्टन एस के पाण्डेय के अनुसार नियमानुसार सेन्ट्रल जेल में वरिष्ठ अधीक्षक अपने साथ दो जबकि जिला जेल में एक सिपाही जेल के अंदर जाते समय अपनी सुरक्षा के लिए रख सकता है। अब यह दो निहत्थे सिपाही कैदियों की भीड़ के बवाल के समय कैसे अपनी या अधीक्षक की जान बचाएंगे, पता नहीं।
 
         दूसरी मामला यह है की दिनांक 01 फरबरी, 2012 को उसी जेल सेंट्रल जेल वाराणसी मे कैदियो ने जेलर सहित जेल रक्षको पर हमला कर दिया, यह घटना अभद्र्ता के कारण हुयी, और मामले मे एक रक्षक के द्वारा कैदियो को निशाना बनाकर गोली चला दिया गया, जो दिवाल मे 6 फीट की ऊचाई पर धस गयी. कई कैदी भी घायल हो गये और रक्षको पर भी जानलेवा हमला हुआ.
       इस तरह से दोनो स्थिति भयावाह है, अखबार मे छपी खबर - संलगनक  
सेंट्रल जेल : कैदियों पर चली थी गोली, कोर्ट में देंगे सबूत
वाराणसी : एक फरवरी को कैदियों के आक्रोशित होने के पीछे तात्कालिक रूप से अधिकारियों का अभद्र व्यवहार मुख्य कारण था। कम से कम डीआईजी जेल को कैदी कुछ ऐसा ही बयान दे रहे हैं। इनके अनुसार विवाद के बाद पहुंचे एक डिप्टी जेलर ने कैदियों पर गोली भी चलाई थी। यह गोली अपने निशान दीवार पर छोड़ गई है। कैदियों ने इस गोली को अपने पास सुरक्षित रखा है। उनका कहना है कि अब यह गोली न्यायालय में दिखाई जाएगी। डीआईजी जेल वी के जैन एक फरवरी को वरिष्ठ अधीक्षक व अन्य को बंधक बनाए जाने के मामले की जांच कर रहे हैं। इस क्रम में वह पिछले तीन दिनों से जेल में कैदियों व कर्मियों के बयान दर्ज कर रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार कैदियों ने अपने बयान में वरिष्ठ जेल अधीक्षक कैप्टन एस के पाण्डेय के तत्कालीन रवैये को बवाल का मुख्य कारण बताया है। कैदियों का कहना था कि कैप्टन पाण्डेय उस दिन सर्किल में घुसे और धमकी के पत्र को दिखा कर गुस्से में काफी अभद्र भाषा में बोले। इस पर कैदियों ने ऐतराज जताया तो कैप्टन पाण्डेय के हमराही कमलेश श्रीवास्तव ने लाठी चला दी। इससे कैदियों का आक्रोश बढ़ गया। पहले से ही कई लोग कैप्टन के पीछे पड़े थे। उन्होंने मौके का फायदा उठाया और हमला किया। कैदियों का कहना था कि बड़ी संख्या में कैदी कैप्टन को बचाने में न लगे होते तो उस दिन अनहोनी हो जाती। अलार्म के बाद डिप्टी जेलर व अन्य सुरक्षा कर्मी अंदर आए तो दरवाजा बंद कर लिया गया। कैदियों के अनुसार इस बीच डिप्टी जेलर बी के गौतम पहुंचे और फायर कर दिया। यह फायर कैदियों को निशाना बना कर किया गया था। छह फीट की ऊंचाई पर दीवार में निशान बना हुआ है। संतोष गड़बड़ व अन्य कैदियों ने बताया कि तब कैप्टन पाण्डेय को कहा गया कि फायरिंग रोकिए नहीं तो आपकी जान चली जाएगी। इस धमकी के बाद कैप्टन पाण्डेय ने फोन कर गौतम को फायरिंग करने से मना किया। कैदियों का कहना था कि उनके दो साथी कैदी भी घायल है और जेल अस्पताल में भर्ती है। इसमें सर्किल नंबर दो का कैदी राममूरत भी शामिल है।
                                    
           अत: महोदय से निवेदन है कि दोनो मामले मे स्वत: संज्ञान लेते हुए  जेलो मे कर्मियो की तैनाती की दयनीय स्थिति और कैदियो की कल्याण हेतु हस्तक्षेप कर दिशा - निर्देश जारी करने की कृपा करे !     

                                                                                                  

                                                                                                                                                                 डा0 लेनिन

 

                                                                                                                        (महा सचिव)

                                                                      मानवाधिकार जन निगरानि समिति
                                                                      एस.ए. 4 /2 ए,दौलतपुर,वाराणसी
                                                                        मोबा.न0:+91-9935599333

                                                                                                              pvchr.india@gmail.com

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Upendra Kumar
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